पटना। एनआरआई चिकित्सक डा. रजनीकांत रजनीश के कलेजे में घुसे खंजर को आखिरकार चार घंटे की मेहनत के बाद कार्डियक सर्जन संजीव कुमार और उनकी टीम ने निकाल लिया। जीवन- मौत से जूझ रहे एनआरआई चिकित्सक को यह उम्मीद नहीं थी कि दिल की धड़कनों के साथ कंपन कर रहा खंजर आसानी से निकल जायेगा। चार दिनों तक आईसीयू में रखने के बाद मरीज को रविवार को डिस्चार्ज कर दिया गया। फिलहाल एनआरआई चिकित्सक पूरी तरह स्वस्थ हैं। इंग्लैंड के ब्रिस्टल शहर में रहने वाले बिहार के चिकित्सक डा. रजनीश अपने सुसराल मुजफ्फरपुर आये थे। वहीं पर चार दिन पूर्व दुर्घटना में गिर गये दार खंजर उनके हृदय में घुस गया। उसने भांप लिया कि खंजर को हिलाने या निकाल देने से अत्याधिक रक्तस्राव हो सकता है जो घातक सिद्ध हो सकता है। उसी स्थिति में परिजनों के साथ मगध हास्पिटल चले आये। हृदय की धड़कन के साथ खंजर का हिलना सभी के लिए कौतूहल बन गयी। प्रारंभिक जांच में इको एवं एक्स- रे द्वारा अनुमान लगाया गया कि खंजर प्ल्यूरल कैविटी से होते हुये हृदय के बांये भाग में चला गया है जो लंग, खून की नली को नुकसान पहुंचा सकता है और थोड़ी सी असावधानी से अत्याधिक रक्तस्राव एवं मरीज की जान जाने की संभावना थी। इधर, उनके परिजन दिल्ली के बड़े अस्पतालों से संपर्क कर रहे थे। सभी ने तथ्य जानने के बाद केस को काफी जटिल करार देते हुये दिल्ली लाने से मना कर दिया। इस बीच मगध हास्पिटल के कार्डियक सर्जन डा. संजीव कुमार ने केस का गहन अध्ययन करने के बाद मरीज के पिता एवं परिजनों को समझा कर आपरेशन करने का निर्णय किया। डा. कुमार ने बताया कि मरीज के पैर के खून की नली द्वारा फिमोरो- फिमोरल बाईपास के जरिये मरीज को हार्ट लंग मशीन पर रख हृदय और लंब को खोला गया। इसके बाद पाया कि खंजर लंग के नीचले हिस्से को छेद कर हृदय की बांयी मेंट्रिकल की दीवार में फंसा है। उसे सावधानी से निकाल कर सारे भाग का शल्य क्रिया द्वारा दुरुस्त कर दिया गया। डा. रजनीश को चार दिनों तक आईसीयू में रखने के बाद आज डिस्चार्ज कर दिया गया। डा. संजीव ने बताया कि आपरेशन अपने तरह का विरल है मेडिकल रिकार्ड में निकट भविष्य में उपलब्ध नहीं है। बिहार के लिए यह पहला अनुभव है। उन्होंने बताया कि मरीज की पूरी तरह स्वस्थ हैं और जल्द ही सामान्य जीवन व्यतीत करने लगेंगे। चार घंटे तक चले आपरेशन में डा. संजीव के साथ डा. ए. के. चौधरी, निश्चेतक डा. श्री नारायण, डा. अलोक कुमार, सिस्टर ज्योति मिंज, सिस्टर दीपा एवं सिस्टर अर्चना केसी शामिल थे। 
 


1 comments:
इस जानकारी भरे लेख के लिये आभार.
मैं उन डॉक्टरों का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने यह कठिन कार्य किया -- शास्त्री जे सी फिलिप
मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार !!
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