Monday, December 24, 2007

धार्मिक न्यास बोर्ड : बदलाव रहा मंत्र

नीतियों में व्यापक बदलाव
बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक का पद संभालने के बाद श्रीकुणाल ने सर्वप्रथम 1951 में तैयार किये गये और वर्तमान में पुराने पड़े नियमों में व्यापक बदलाव कराया। नये नियमों के अनुसार मंदिर की जमीन बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और पूर्व में बेची गयी जमीन को भी वापस लेने की पहल शुरू कर दी गयी है। नयी नीति के तहत मंदिरों में अनिवार्य रूप से संगत-पंगत योजना लागू कर दी है। इस योजना के तहत प्रत्येक मंदिर के न्यासधारी को मंदिर में सुनिश्चित करना होगा कि सप्ताह में कम से कम एक दिन सभी समुदाय के लोग एक साथ बैठक भजन-कीर्तन करें। वर्ष में एक बार मंदिर में सामूहिक भोज का आयोजन होगा। मंदिरों में दलित पुजारी की नियुक्त न्यास बोर्ड की ओर से राज्य में पहली बार प्रदेश के मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति करने की प्रक्रिया शुरू की गयी। इस वर्ष बिहटा शिव मंदिर, पालीगंज राम-जानकी मंदिर में दलित पुजारी की नियुक्ति की गयी। इसके पूर्व में राजधानी के स्टेशन स्थित महावीर मंदिर में एक दलित पुजारी की नियुक्ति की गयी थी। समाज सेवा में न्यास बोर्ड का प्रवेश
बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने पहली बार मंदिरों से बाहर निकलकर समाज सेवा के क्षेत्र में कदम बढ़ाया है। इस दिशा में न्यास बोर्ड की पहल पर कई मंदिरों की ओर से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में पहल की गयी है। बेगूसराय स्थित सूजा मठ की ओर से मेडिकल कालेज खोलने की पहल की गयी है। सोनपुर के हरिहर नाथ मंदिर एवं मुजफ्फरपुर के गरीबनाथ मंदिर की ओर से चिकित्सा सेवा शुरू की गयी है। देश की सबसे प्राचीन मंदिर की खोज न्यास बोर्ड ने कैमूर रेंज के पहाड़ी पर स्थित मां मुण्डेश्वरी भवानी के मंदिर को देश के सबसे प्राचीन मंदिर के रूप में स्थापित कराया। इस मंदिर में निर्माण कार्य करने के लिए भारतीय पुरावत्व विभाग की ओर से पहल की गयी है। वहीं दूसरी ओर न्यास बोर्ड ने सुल्तानगंज (भागलपुर) के अजगैवीनाथ मंदिर के भ्रष्ट महंत को हटाकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को मंदिर के संचालन का भार सौंप दिया है, जिसकी ओर से मंदिर में निर्माण कार्य किया जा रहा है। यहां पर धनुषधारी भगवान शिव की एक सौ आठ फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की योजना है। विश्र्व प्रसिद्ध मंदिरों के अधिग्रहण की तैयारी राज्य के विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के अधिग्रहण की तैयारी धार्मिक न्यास बोर्ड ने शुरू कर दी है। बोर्ड ने दरभंगा स्थित श्यामा मंदिर को अपने अधीन कर लिया है। वहीं गया स्थित विष्णुपद मंदिर के अधिग्रहण के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। इसके अलावा अन्य बड़े मंदिरों की पहचान की जा रही है, जो अब तक बोर्ड के नियंत्रण से बाहर हैं। 11 मंदिरों को करोड़पति बनाने की तैयारी बोर्ड ने राज्य के 11 बडे़ मंदिरों की आय बढ़ाने की दिशा में पहल करते हुए उन्हें करोड़पति बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए बोर्ड ने मंदिरों में पारदर्शिता लाने के लिए नयी कमेटी का गठन, दान पेटिका सार्वजनिक करने, आय-व्यय का हिसाब रखने, वर्तमान संपत्ति का सही सदुपयोग करने की योजना तैयार की गयी है।
कार्यालय का कम्प्यूटरीकरण
न्यास बोर्ड ने आधुनिकता के दौर में पिछड़ने से बचने के लिए कार्यालय का कम्प्यूटरीकरण के लिए पहल किया है। इसके लिए कम्प्यूटर की खरीदारी एवं आपरेटर एवं अन्य कर्मचारियों की बहाली की योजना बनायी गयी है। बोर्ड के खाली पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति की भी कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।
विशेष न्यायाधिकरण की व्यवस्था
न्यास बोर्ड ने अपने विवादों के निष्पादन के लिए विशेष न्यायाधिकरण गठित करने की योजना बनायी है। इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। बोर्ड के प्रशासक श्री किशोर कुणाल को उम्मीद है कि शीघ्र ही सरकार न्यायाधिकरण का गठन कर देगी, जिससे विवादों के निष्पादन में शीघ्रता आयेगी।

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