Monday, December 24, 2007

Scientific Foresight : जेनेटिक इंजीनियरिंग से लेकर नैनौ साइंस पर हुए व्याख्यान

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में आयोजित साइंटिफिक फोरसाइट के दूसरे दिन जेनेटिक इंजीनियरिंग, नैनो साइंस तथा माइक्रो बायोलाजी क्षेत्र के विशेषज्ञों का व्याख्यान हुआ। इस मौके पर बड़ी संख्या में छात्र मौजूद थे।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>तीन दिवसीय साइंटिफिक फोरसाइट के दूसरे दिन के कार्यक्रम का आरंभ हैदराबाद स्थित सेंट्रल कांउसिल आफ माइक्रो बायोलाजी के जेनेटिक इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ प्रो.लालजी सिंह के व्याख्यान से हुआ। प्रो. सिंह ने व्यक्तिगत पहचान में वैज्ञानिक तकनीक के प्रयोग पर अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि जेनेटिक टेक्नोलाजी से अब किसी भी व्यक्ति के माता-पिता की पहचान काफी सुगम हो गयी है। इस तकनीक का प्रयोग मनुष्यों के अलावा विभिन्न जाति के जीव-जंतु के उद्भव व विकास की प्रक्रिया को समझने में किया जा रहा है। डा. सिंह ने कहा कि अब दुष्कर्म व हत्या जैसे संगीन मामलों की पहचान डीएनए टेस्ट तथा अन्य वैज्ञानिक परीक्षणों के माध्यम से पूर्णत: संभव है। उन्होंने सभागार में मौजूद छात्रों का आह्वान किया कि वे फोरेंसिक साइंस, जेनेटिक इंजीनियरिंग तथा माइक्रो बायोलाजी के क्षेत्र में प्रवेश करें।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>आल इंडिया इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसेज, नयी दिल्ली की प्राध्यापिका प्रो. एम राजलक्ष्मी ने कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा,मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में अब भी परिवार नियोजन के लिए किसी तरह की औषधि, कृत्रिम तकनीक जैसे कंडोम, भसेक्टोमी, ट्यूवोटामी के प्रति रूझान मात्र 39 फीसदी है। इस वजह से देश की आबादी के विकास दर में इन राज्यों की भूमिका सर्वाधिक है। जरूरत है कि यहां परिवार नियोजन संबंधी जागरण अभियान सक्रियता पूर्वक चलाया जाए। टाटा इंस्टीच्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च के नैनो साइंस के वैज्ञानिक डा.विजय सिंह ने दवा उद्योग, बायो टेक्नोलाजी व विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलाजी के तेजी से बढ़ते हुए प्रभाव की चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार व शैक्षणिक संस्थानों में नैनो साइंस संबंधी पाठ्यक्रम आरंभ किए जाए।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>आईआईटी, दिल्ली से पहुंचे सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डा. के. के. गोसाईं ने जल प्रबंधन से संबंधित अपना शोध पत्र पढ़ा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. सी. एस. सिंह ने आपदा प्रबंधन विषय पर अपना तकनीकी पत्र प्रस्तुत किया। वायरलेस-मोबाइल टेक्नोलाजी विषय पर अमेरिका के नार्थ केरोलिना विषय के प्राध्यापक डा. जयेश नाथ ने बिहारी छात्रों से कहा कि वे वाई-फाई क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण लें। प्रो. नाथ ने कहा कि इस क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं। भारत में हर माह 60 लाख मोबाइल कनेक्शन बढ़ रहे हैं। इसके बाद भी मात्र 25 प्रतिशत आबादी के पास दूरसंचार का साधन उपलब्ध हो पाया है।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>तकनीकी सत्र में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के डा. जे. वारिसी, एनआईटी, पटना के प्रो. ज्ञान राजहंस, बीआईटी मेसरा के प्रो. विजय नाथ व नेशनल टेक्नोलाजी, सिंगापुर के प्रो. मुकुल शर्मा ने अपने विचार रखे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार ने सेमिनार के अंत में वैज्ञानिकों व प्रतिभागियों के प्रति कृतज्ञता जतायी।

1 comments:

अनुनाद सिंह said...

ऐसे व्याख्यान अत्यन्त उपयोगी हैं, हर जगह कराये जाने चाहिये।

आपने बड़े ही प्रभावी ढ़ंग से इस व्याख्यान-माला की प्रस्तुती की है। साधुवाद!