मधुकर मिश्र, बेतिया (प. चंपारण) : चंपारण में प्राचीन इतिहास के भग्नावशेष व इंद्रधनुषी सौंदर्य से अटे पर्यटन केन्द्र अब वेबसाइट पर दिखेंगे। इनको देश के पर्यटन केन्द्रों से जोड़ दिया गया है। इन्हें अब टूर लौरिया नंदनगढ़ डाट काम पर देखा जा सकता है। सरकार ने जिले को पर्यटन के मानचित्र पर लाते हुए तमाम ऐतिहासिक धरोहरों को वेबसाइट पर लाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है, ताकि वेबसाइट पर देखने वाले पर्यटक स्थल माउस क्लिक करते ही लोगों को निमंत्रण देने लगे। लौरिया योगापट्टी क्षेत्र के विधायक प्रदीप सिंह की मानें तो उनके आग्रह पर मुख्यमंत्री ने चंपारण के पर्यटन केन्द्रों को उभारने के लिए यह पहल करते हुए पर्यटन विभाग को लिखा था। प. चंपारण के चप्पे-चप्पे में ऐतिहासिक स्थल यथा पौराणिक व पुरातात्विक महत्व के मठ-मंदिर हैं। कुछ ने तो अपने गर्भ में कई अनोखे रहस्यों को छिपा रखा है। नेपाल एवं उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित इस जिले में पहाड़ी, नदियों, घाटियों, प्राकृतिक झील-झरनों के जाल बिछे हैं। सोमेश्वर पहाड़ी सेसटे वन मध्यवर्ती परेवादह में असंख्य कबूतर व अप्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। उदयपुर वन स्थित सरैयामन पक्षी बिहार में देश-विदेश के प्रवासी पक्षियों के कलरव संगीत के सातों सुरों को भी पीछे छोड़ देते हैं। सरैयामन की झील और गंडक दियारा में नौका विहार का लुत्फ अविस्मरणीय माना जाता है। वाल्मीकिनगर के गंडक बराज से लेकर समीपवर्ती गज-ग्राह स्थल, त्रिवेणी बाजार, अल्हा-उदल का अखाड़ा, बावनगढ़ी, तिरपन बाजार, वाल्मीकि आश्रम, लव-कुश क्रीड़ा स्थल, नरदेवी, कौलेश्वर महादेव मंदिर जैसे धरोहरों के अलावा प्राकृतिक सुषमा से मंडित वन आकर्षक छटा बिखेरते हैं। यहां मदनपुर देवी स्थल, महाभारत में वर्णित चिउटांहा के बैराटी में वैराटपुर, गोवर्द्धना के समीप सोमेश्वर पहाड़ पर कालिका स्थान, नाचन चुडि़या, रासो गुरो की नाव, सोमेश्वर बंगला, राजा भर्तृहरि महल जैसे कई धरोहरें हैं। लौरिया में अशोक स्तंभ समेत नंदनगढ़ जैसे 23 टीले, इंद्र के क्षेत्र के रूप में चर्चित देवराज के सभी गांवों में सम्राट अशोक के समय के खोदे गये तालाब और चानकीगढ़ की पुरातात्विक खोजों के बारे में कौन नहीं जानना चाहेगा। रमपुरवा में रखे गये धराशायी स्तंभों की तो अलग ही ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। सुभद्रा देवी स्थल की ऐतिहासिक गाथा और सोफवा समेत नौलखा मंदिरों कीपौराणिक महत्ता का भी विशेष महत्व है। इसी तरह मंदिरों के नगर एवं तांत्रिक पीठ के रूप में इतिहास प्रसिद्ध जिला मुख्यालय के कालीधाम अनूठी विरासत है। यहां कभी देश-विदेश के तांत्रिक आकर साधना करते थे। यहां चारों वेद, अठारहों पुराण, एकादश रुद्र, नौ दुर्गा, नौ ग्रह, दस दिग्पाल, चौसठ योगिनी समेत सभी कोटि के देवी-देवताओं की मूर्तियां विद्यमान हैं। इनके अलावा बापू के चंपारण सत्याग्रह का गवाह जिला मुख्यालय स्थित हजारीमल धर्मशाला, निलहे गोरों की कुडि़या कोठी, भितिहरवा आश्रम, बुनियादी विद्यालयों की प्रथम प्रयोगस्थली वृंदावन आश्रम एवं शहीद भगत सिंह के प्रवास के दौरान छिपने का स्थल उदयपुर वन व अन्य कई महत्वपूर्ण स्थल पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त हैं।
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