Saturday, January 26, 2008

गंगा और गुर्दे की फिक्र करने वालों को मिली पद्मश्री

पटना। बिहार के दो प्रतिष्ठित चिकित्सकों डा. एस.एन. आर्या व डा. इंदुभूषण सिन्हा ने पद्मश्री सम्मान मिलने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त की है और इसे जनता की सेवा का सम्मान बताया है। डाक्टर आर्या अनाम शवों का वैदिक रीति से अंतिम संस्कार कराने की ऐसी अनूठी मुहिम से जुड़े हैं, जो गंगा को शव प्रदूषण से बचाने के साथ-साथ मृतक की आत्मा की शांति से भी जुड़ी है। गरीबों का मुफ्त इलाज तो वह करते ही हैं। उधर, गुर्दारोग विशेषज्ञ डा. सिन्हा को पटना मेडिकल कालेज अस्पताल में नेफ्रोलाजी यूनिट खोलने का श्रेय दिया जाता है।
बेंगलुरू से दूरभाष पर डा. आर्या ने बताया कि इस सम्मान के लिए चुने जाने के बाद उन्हे अपने सामाजिक कार्यो को आगे जारी रखने का प्रोत्साहन मिला है। पौने बारह वर्षो से डा. आर्या शनिवार को पटना के आशियाना नगर तथा बुधवार को पाटलिपुत्रा कालोनी में मरीजों का इलाज मुफ्त कर रहे है। इसके अतिरिक्त 1986 से हिन्दू सेवा समिति के माध्यम से डा. आर्या लावारिस हिन्दू लाशों का वैदिक रीति से अंतिम संस्कार करवा रहे है। उनका कहना है कि 75 साल का हो चुका हूं, चाहता हूं कि यह समिति मेरे बाद भी यह काम करती रहे। अभी जितने भी लोग इस समिति से जुड़े है, सभी 70 वर्ष के हो चले है।
इस समिति से अपने गहरे भावनात्मक लगाव की चर्चा करते हुए डा. आर्या बताते है कि समिति हिन्दू धर्म की रक्षा के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी कर रही है। वह बताते है कि आज भी पुलिस वालों को लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए मात्र 35 रुपये मिलते है, इसलिए पुलिस वाले इन शवों को गंगा में फेंक देते है, जिससे प्रदूषण फैलता है। सरकार की तरफ से उनकी संस्था को यही सहूलियत मिलती है कि जहां विद्युत शवदाह गृह में आम लोगों से 300 रुपये लिए जाते है, उनकी संस्था से मात्र 100 रुपये सरकार लेती है। अगर किसी शव का पोस्टमार्टम करना पड़ता है तो लगभग डेढ़ हजार का खर्च बैठता है।
लोक नायक जय प्रकाश नारायण व पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के निजी चिकित्सक तथा नेफ्रोलोजी (गुर्दा रोग) के ख्याति प्राप्त चिकित्सक डा. सिन्हा ने मुंगेर जिला के सुपौल जमुआ गांव में जन्मे डा. सिन्हा ने 1960 में पीएमसीएच से एमबीबीएस की परीक्षा पास की। यहीं से उन्होंने जनरल मेडिसीन व डरमैटोलाजी में एमडी किया। बिहार सरकार की तरफ से उन्होंने सीएमसी वेल्लूर, एम्स, जसलोक अस्पताल, मुम्बई एवं रायल लीवर पूल हास्पिटल, यूके में नेफ्रोलाजी के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1995 में नेफ्रोलाजी के विभागाध्यक्ष पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद से वे लगातार लोगों की सेवा में लगे है। डा. सिन्हा आईएमए बिहार के अध्यक्ष, एसोसियेशन आफ फिजिशयन आफ इंडिया की बिहार इकाई का अध्यक्ष तथा इंडियन सोसायटी आफ नेफ्रोलाजी के अखिल भारतीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वह रेड क्रास व महावीर कैंसर संस्थान, अनुग्रह सेवा सदन, लायंस क्लब जैसे समाजसेवी संगठनों से भी जुड़े रहे है। गौरतलब है कि डा. सिन्हा अनुग्रह सेवा सदन में समाज के गरीब तबकों को सालों से अपनी सेवा नि: शुल्क देते रहे हैं। उनकी सेवा का लक्ष्य क्षेत्र वह तबका रहा है जिसे मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं आज भी अनुपलब्ध हैं। किदवई पुरी स्थित अपने क्लीनिक में हर रविवार (अगर पटना में हैं)ऐसे ही लोगों को लक्ष्य कर और दूसरे दिनों में भी गरीबों को वह प्राय: नि:शुल्क उपलब्ध होते हैं। पीएमसीएच में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी पहल और कोशिशों के बूते डायलेसिस यूनिट कभी भी बाधित नहीं होने दी। पढ़ने लिखने और आज भी अद्यतन चिकित्सकीय शोध में संलग्न डा. सिन्हा का सपना उन बीमारियों के मद्देनजर जो अमूमन गरीबों को अपना निशाना बनाती हैं, डाक्टरों के समन्वित प्रशिक्षण की है।

1 comments:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

Bhai aapane jo janakare dee hai vah mere liy behad upayogi hai,
achhi janakari upalabdh karane ke liy sadhuvad.

yadi aap Dr. dvya (Dono Dr.) ka koi contact no. upalabdh karaay to
kripaa hogi.

Mera E-Mail pata hai- ashishkumaranshu@gmail.com