Friday, April 04, 2008

ग्रामीण विकास को नाबार्ड ने दिए 296.96 करोड़

पटना। ग्रामीण आधारभूत संरचना के क्षेत्र में नाबार्ड ने वित्ताीय वर्ष 2007-08 के दौरान प्रदेश में प्रत्यक्ष ऋण के रूप में 296.96 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं। पिछले वित्ताीय वर्ष की तुलना में इस क्षेत्र में 47.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डा. संदीप घोष ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इस आशय की जानकारी दी। इस मौके पर उन्होंने वित्ताीय वर्ष 2008-09 के दौरान बिहार के लिए नाबार्ड की प्राथमिकताओं पर भी चर्चा की।

डा. घोष ने बताया कि वित्ताीय वर्ष 2007-08 में नाबार्ड ने बिहार में कई तरह की उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रदेश के विभिन्न विकास कार्यक्रमों के लिए इस दौरान नाबार्ड ने 547.07 करोड़ रुपए की वित्ताीय सहायता उपलब्ध करायी। यह पिछले वित्ताीय वर्ष की तुलना में 37 प्रतिशत अधिक है। बैंकों को पुनर्वित्ता सहायता के मद में 184 करोड़, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को उत्पादन ऋण सहायता के रूप में 48.40 करोड़ तथा सहकारी बैंकों को 18.57 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध करायी गयी। उन्होंने बताया कि वित्ताीय वर्ष 2007-08 के दौरान ग्रामीण विकास निधि के अंतर्गत 1686 परियोजनाएं स्वीकृत की गयीं। ग्रामीण गोदाम योजना के तहत 1.7 करोड़ रुपए की सब्सिडी वितरित की गयी। यह राशि 23 इकाइयों को अतिरिक्त क्षमताव‌र्द्धन के लिए दिया गया। कौशल उन्नयन की दिशा में भी काम हो रहे हैं। 20 मघुबनी पेंटिग्स के शिल्पियों को प्रशिक्षण के लिए नेशनल इंस्टीच्यूट आफ डिजायन, अहमदाबाद भेजा गया।नए वित्ताीय वर्ष की योजनाओं के संबंध में डा. घोष ने बताया कि इस अवधि में 17491 करोड़ रुपए के वितरण का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीण आधारभूत संरचना निधि द्वारा प्रदेश में चलने वाले आधारभूत संरचना विकास कार्यक्रमों में सहायता की जाएगी। संवाददाता सम्मेलन में नाबार्ड के महाप्रबंधक बी एल मिश्रा, सी पी अपन्ना, डीजीएम एस मंडल, एस ए पांडेय व डी हरि भी मौजूद थे।

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