
आईआईएम अहमदाबाद के छात्र ने सूबे के ग्रामीण एवं शहरी आबादी के बीच बढ़ रही विकास की खाई को पाटने की अनूठी पहल शुरू कर दी है। वह सब्जी उत्पादक किसानों को राजधानी के बाजारों से जोड़कर उनकी पैदावार की उचित कीमत दिलायेगा। वहीं दूसरी ओर शहरवासियों को रासायनिक खाद एवं कीटनाशी मुक्त ताजी सब्जियां सस्ते दर पर मुहैया होंगी। छात्र कौशलेन्द्र ने आज बाकायदा कंकड़बाग में एसी ठेला लगाकर सब्जी की बिक्री शुरू की । आईआईएम अहमदाबाद के छात्र कौशलेन्द्र का कहना है कि किसानों की पैदावार को उचित कीमत मिलना समय की मांग है। इसके लिए उन्हें सीधे बाजार से जोड़ने की जरूरत है। बाजार में मांग के अनुसार ही अब किसानों को खेती के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। गांवों को शहरों से जोड़कर ही गरीब किसानों का विकास किया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने राजधानी को केन्द्र बनाकर गांव एवं शहरों के बीच की खाई पाटने के लिए कदम बढ़ाया है। कौशलेन्द्र ने कहा, सर्वप्रथम राजधानी में 50 एसी ठेला चलाने का निर्णय लिया गया है। ठेला के माध्यम से राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को ताजी सब्जी कम कीमत पर उपलब्ध करायी जायेगी। इसके लिए पटना जिले के फतुहा प्रखंड के किसानों को जैविक सब्जी उत्पादन के लिए तैयार किया गया है। उन किसानों को उन्नत प्रभेद के सब्जी बीज मुहैया कराकर बिहार कृषि प्रबंध एवं प्रशिक्षण-प्रसार संस्थान (बामेती) एवं कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) की मदद से कृषि की अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दिलाया जायेगा। उसके बाद किसानों को जैविक खेती के गुर बताये जायेंगे। कौशलेन्द्र ने कहा कि शुरू में राजधानी में सब्जी की बिक्री करने के बाद देश के महानगरों में भी बिहार के खेतों में पैदा हुई सब्जी लोगों को मुहैया करायी जायेगी। राजधानी में सब्जी बेचे जाने वाले ठेले पर इस बात का उल्लेख होगा कि सब्जी किस गांव के किस किसान की है। कौशलेन्द्र का कहना है कि वर्तमान में दुनियाभर में जैविक तरीके से तैयार कृषि उत्पादों एवं फलों की मांग तेजी से बढ़ रही है। लोग रासायनिक खादों एवं कीटनाशी के प्रयोग से ऊब चुके हैं। आत्मा के परियोजना निदेशक डा.वेद नारायण सिंह का कहना है कि जैविक खेती से कृषि की लागत में काफी कमी आयेगी, जिससे किसानों की बचत होगी तथा रासायनिक खादों से मिट्टी में बढ़ रही बंजरता में भी कमी आयेगी। अत्याधुनिक तकनीक अपनाने से एक तरफ जहां किसानों की पैदावार में वृद्धि होगी, सिंचाई के खर्च में भी कमी आने की उम्मीद है।

1 comments:
I HOPE I CAN RETURN TO BIHAR TO CONTRIBUTE TO MY HOME STATES DEVELOPMENT SOONER THAN LATER.
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