साभार : दैनिक जागरण , पटना
पिता ने कहा पढ़ाई में मन नहीं लगता है तो चाय बेच कर जीवन गुजारो। शिक्षक ने कहा तुम अपने बाप की चाय दुकान चलाने के लायक भी नहीं हो। मित्रों ने कहा जाओ पिता की दुकान चलाओ।
ये तीन बातें पंकज के दिल को छू गयी और उसने ठान लिया कि वह किसी भी हाल में पढ़ाई करेगा। उसकी इच्छा शक्ति ऐसी जागी कि कभी गणित में महज तीन अंक लाने वाला पंकज ने आईआईटी रुड़की में 997 अंक और बीआईटी मेसरा की परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल कर आलोचकों का मुंह बंद कर दिया।
खगौल रेलवे स्टेशन के बाहर बड़ी खगौल निवासी उसके पिता मनोहर लाल गुप्ता की चाय की दुकान आज भी है। अमेरिका से पंकज अपनी पत्नी स्मिता जो जर्मनी में बास्केट बाल की कोच है, के साथ फिलवक्त खगौल आया है। यहां कभी उस पर छींटाकशी करने वाले सहपाठी उसको एक नजर देखने को बेताब हैं। पंकज के पिता खगौल स्टेशन के बाहर चाय दुकान चलाते हैं और मां सरिता देवी घर का कामकाज संभालतीं हैं। अपने घर पर पंकज ने बताया कि वह पढ़ाई में काफी कमजोर था। इससे नाराज उसके पिता ने एक दिन कहा अगर पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता है, तो दुकान पर आकर सहयोग करो। बेकार में पैसा बर्बाद करने से क्या फायदा। ऐसे भी तुम घर की माली हालत से परिचित हो। यह दुकान आज भी रेलवे स्टेशन के बाहर है। पंकज की पढ़ाई में लगन न देख शिक्षक ने कहा तुम अपने बाप की चाय दुकान चलाने के लायक भी नहीं हो। यह बात एक दिन पंकज को लग गयी और उसने ठान लिया कि कुछ करके दिखायेगा और एक दिन ऐसा आया कि कभी 9वीं कक्षा में गणित में मात्र 3 अंक पाने वाले पंकज ने आईआईटी रुड़की की परीक्षा में 997 अंक प्राप्त किया और फिर बीआईटी मेसरा द्वारा आयोजित इंजीनियरिंग की परीक्षा में तीसरा स्थान प्राप्त कर कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। पंकज ने बताया कि वह खगौल के एनसी घोष विद्यालय, रेलवे विद्यालय से पढ़ाई करने के बाद जगत नारायण लाल कालेज और बीएस कालेज में दाखिला लिया। पढ़ाई के प्रति एक बार जो रुझान उसमें जगा वह फिर कम नही हुआ। कभी गणित में तीन अंक पाने वाला पंकज वर्जीनिया के इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में गणित पर रिसर्च कर रहा है। उसकी शादी स्मिता से हुई, जो पटना के सैदपुर की रहने वाली है। स्मिता जर्मनी में बास्केट बाल की कोच है। फिलवक्त दोनों अपने घर खगौल आये हुए हैं। कभी दुत्कारने वाले माता-पिता अपने इस होनहार बेटे पर अब गर्व कर रहे हैं। एडवांस इन फ्रैक्शन कैलकुलस, क्यूरिकल डेवलपमेंट एंड एप्लिकेशन इन फिजिक्स एंड इंजीनियरिंग में एक चैप्टर पंकज का भी है। यह पुस्तक विश्व में नामी है। वहीं तीन बेटों व एक बेटी के पिता मनोहर लाल आज जब अतीत में झांकते हैं तो उन्हें पुरानी बातें भावुक कर देती हैं। वे बताते हैं कि पढ़ाई के प्रति वे और उनकी पत्नी दोनों ही बेहद सख्त थे। संभवत: इसी का नतीजा है कि उनके दोनों बेटों ने उनकी उम्मीदों से बहुत ज्यादा कर दिखाया है। तीसरे बेटे पर भी उन्हें पूरा भरोसा है। वे बताते हैं कि मैं दिन भर चाय की दुकान पर रहता था और मेरी पत्नी घर व बच्चों की देखभाल करती थी। रोजमर्रा की चीजों में कटौती की पर बच्चों की पढ़ाई में कभी कोई समझौता नहीं किया। भगवान ने इसी का परिणाम दिया है। वहीं मनोहर की पत्नी सरिता देवी अपने बच्चों की तरक्की को ईश्वर की कृपा मानती हैं।

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