Monday, July 20, 2009

ब्रिटेन ने किया बिहार की बेटी का सम्मान

साभार : दैनिक जागरण

लंदन/ पटना। ब्रिटेन ने बिहार की बेटी को बड़ा मान दिया है। अप्रवासी भारतीय शिक्षाविद् आशा खेमका को देश के प्रतिष्ठित सम्मान 'आर्डर आफ ब्रिटिश एंपायर' से नवाजा गया है। यह सम्मान ब्रिटिश महारानी की ओर से दिया जाता है। आशा यह सम्मान पाने वाली एशिया की पहली महिला बन गई हैं।
बिहार के सीतामढ़ी में जन्मीं आशा खेमका वेस्ट नाटिंघमशायर कालेज में प्रधानाचार्य और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। महज 15 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। मोतीहारी के 19 साल के मेडिकल के छात्र शंकर खेमका से उनकी शादी हुई। आज डा. शंकर वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन हैं। वह 1978 में आशा को लंदन लाए थे। तब आशा अच्छी तरह अंग्रेजी भी नहीं जानती थीं। इस सप्ताह महारानी के हाथों सम्मान ग्रहण करने वाली आशा ने रविवार को कहा, 'आर्डर आफ ब्रिटिश एंपायर सम्मान पाकर मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। यह सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में मेरे योगदान को बढ़ाएगा।' शिक्षा के क्षेत्र में आशा के उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें मई 2008 में एशियन वूमेन आफ अचीवमेंट अवार्ड और जुलाई 2007 में नेशनल ज्वेल अवार्ड फार एक्सीलेंस इन हेल्थकेयर एंड एजुकेशन भी प्रदान किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि आर्डर आफ ब्रिटिश एंपायर ब्रिटेन का प्रतिष्ठित सम्मान है। यह सम्मान 1917 में जार्ज पंचम ने शुरू किया था। सैन्य और नागरिक क्षेत्र में विशिष्ट कार्यो के लिए यह सम्मान दिया जाता है।
यह सम्मान मिलने के बाद पुरुष अपने नाम के आगे 'सर' और महिलाएं 'डेम' लगाने के लिए अधिकृत हो जाती हैं।

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