Wednesday, October 10, 2007

दरभंगा को मिला ट्रिपल आईटी का तोहफा

केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बाद बिहार में अब भी उच्च शिक्षा की स्थिति नहीं सुधरी तो फिर वाकई उसका भगवान ही मालिक है। महज साढ़े तीन साल में शिक्षा के मामले में इस राज्य के लिए हर तरह का पिटारा खोलने के बाद सरकार अब दरभंगा में एक ट्रिपल आईटी भी खोलने जा रही है।

मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री एम ए फातमी के संसदीय क्षेत्र में खुलने वाले भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) की तैयारी को लोकसभा के जल्द संभावित चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि वैसे तो संप्रग सरकार में शामिल होने के बाद लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल ने केंद्र से बिहार के लिए भरपूर मदद ली है, लेकिन अब उसकी भी नजर चुनाव पर है। फातमी ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि सरकार ने सिर्फ दरभंगा में ट्रिपल आईटी खोलने का ही फैसला नहीं किया है, बल्कि बीते वर्षों में केंद्र ने राज्य के लिए शिक्षा के मामले में खास तवज्जो दिया है, क्योंकि इस क्षेत्र में बिहार के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।

फातमी ने कहा कि सर्वोत्कृष्ट शिक्षण संस्थान के रूप में खुलने वाले 16 नए विश्वविद्यालयों में से एक बिहार को मिल रहा है, जबकि पटना के पास बिहटा में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खोलने की मंजूरी मानव संसाधन विकास मंत्रालय पहले ही दे चुका है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड , इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इग्नू) और मौलाना आजाद फाउंडेशन के क्षेत्रीय कार्यालयों को भी बिहार में खोला गया है। राज्य में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (एनआईओएस) का क्षेत्रीय कार्यालय पहले से ही चल रहा था। एनआईओएस ने अब उसके उप क्षेत्रीय कार्यालय को फातमी के संसदीय क्षेत्र में भी खोल दिया है।

गौरतलब है कि बुनियादी शिक्षा के मामले में बीते वर्षो में भी केंद्र सरकार ने राज्य के लिए खास ध्यान दिया है। खास कर सर्वशिक्षा अभियान के तहत नए स्कूल खोलने, अतिरिक्त क्लास रूम बनाने, शिक्षकों की भर्ती आदि के मामले में केंद्र पहले से ही राज्य को मुंहमांगी मदद करती रही है। यह बात अलग है कि राज्य सरकार इनमें से कई मामलों में समुचित कदम उठाने में असफल रही है। मसलन बीते साल 15 हजार नए प्राइमरी स्कूलों के निर्माण के प्रस्ताव पर केंद्र से मंजूरी के बाद उसने 12 हजार स्कूलों को बनवा पाने में इस साल फरवरी में असमर्थता जता दी थी। इसी तरह कई और लक्ष्यों को पूरा करने में भी वह नाकाम रही है, जबकि देश में स्कूल से बाहर कुल लगभग 70 लाख बच्चों में से 15 लाख से अधिक बिहार में ही हैं।

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