पटना। राजनीति सत्ता के निचले पायदान पंचायत और नगरपालिका चुनाव के सूबे के फार्मूले की केन्द्र ने सराहना की है। किए गए प्रभावकारी सुधारों के लिए बिहार की पीठ थप-थपाते हुए केन्द्र ने इस 'माडल' को अन्य राज्यों से अपनाने की सिफारिश की है। दरअसल बिहार स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने में एकलौता रहा। चुनाव कार्य में गड़बड़ी करने वाले अफसरों-कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने की शक्ति आयोग को थी। निर्वाचन का ब्योरा नहीं भेजने वाले उम्मीदवारों को तीन सालों तक चुनाव लड़ने से वंचित करने, छह माह से अधिक से फरार लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटने, इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल आदि कई प्रावधान और इसका इस्तेमाल किए गए। दो से अधिक संतान वालों को चुनाव लड़ने से वंचित करने का भी प्रावधान किया गया। हालांकि इसका इस्तेमाल अगले चुनाव से होगा। बहरहाल पंचायत विभाग व राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए इस तरह के प्रयोगों के बेहतर नतीजे आए। चुनावी अराजकता को लेकर बदनाम बिहार की निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव को लेकर सराहना हुई। आठ एवं नौ जून को राज्यों के राज्य निर्वाचन आयुक्तों की बैठक में भी यहां के फार्मूले की तारीफ की गई। पंचायत राज मंत्रालय ने बिहार से चुनावी प्रावधानों-संशोधनों को लेकर ब्योरा मांगा था। इसके अध्ययन के बाद मंत्रालय ने सभी राज्यों को माडल की प्रति भेजते हुए 'बेस्ट प्रेक्टिस' की संज्ञा दे सभी राज्यों को अपनाने का सुझाव दिया। कहा गया इससे चुनाव में बेहतर सुधार होंगे।
प्रदेश की ओर से मंत्रालय को पंचायत एवं नगरपालिका चुनाव के मद्देनजर कोई 15 महत्वपूर्ण बिन्दुओं से संबंधित ब्योरा भेजा था। जिसमें बताया गया कि उम्मीदवारों को सम्पत्ति-दायित्व व आपराधिक इतिहास का ब्योरा सार्वजनिक करना अनिवार्य अन्यथा दंड, पूरी चुनाव प्रक्रिया पर गहरी नजर रखने के लिए प्रेक्षकों की तैनाती, अगंभीर लोगों को चुनाव लड़ने से हतोत्साहित करने के लिए नामांकन शुल्क में वृद्धि, नामांकन शुल्क की वापसी नहीं, भारतीय दंड संहिता के तहत लोक सेवक घोषित करने, तीन माह में शपथ नहीं लेने पर पदमुक्त करने, चुनावी रिट के लिए कोर्ट फी में उल्लेखनीय वृद्धि, चुनावी हिंसा होने पर बाहुबली उम्मीदवार को मुख्य अभियुक्त बनाकर मुकदमा चलाने, निर्वाचन से संबंधित सभी मुकदमों का स्पीडी ट्रायल आदि प्रावधान किए गए। जिनका हर स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद पंचायत व नगरपालिका के आदर्श चुनाव ने सूबे की इज्जत बढ़ाई है।
प्रदेश की ओर से मंत्रालय को पंचायत एवं नगरपालिका चुनाव के मद्देनजर कोई 15 महत्वपूर्ण बिन्दुओं से संबंधित ब्योरा भेजा था। जिसमें बताया गया कि उम्मीदवारों को सम्पत्ति-दायित्व व आपराधिक इतिहास का ब्योरा सार्वजनिक करना अनिवार्य अन्यथा दंड, पूरी चुनाव प्रक्रिया पर गहरी नजर रखने के लिए प्रेक्षकों की तैनाती, अगंभीर लोगों को चुनाव लड़ने से हतोत्साहित करने के लिए नामांकन शुल्क में वृद्धि, नामांकन शुल्क की वापसी नहीं, भारतीय दंड संहिता के तहत लोक सेवक घोषित करने, तीन माह में शपथ नहीं लेने पर पदमुक्त करने, चुनावी रिट के लिए कोर्ट फी में उल्लेखनीय वृद्धि, चुनावी हिंसा होने पर बाहुबली उम्मीदवार को मुख्य अभियुक्त बनाकर मुकदमा चलाने, निर्वाचन से संबंधित सभी मुकदमों का स्पीडी ट्रायल आदि प्रावधान किए गए। जिनका हर स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद पंचायत व नगरपालिका के आदर्श चुनाव ने सूबे की इज्जत बढ़ाई है।
0 comments:
Post a Comment