Wednesday, April 09, 2008

सर बधाई हो, आप डीजीपी हो गये..


नये डीजीपी की पत्नी डा. आशा मिश्रा कहती हैं- शाम पौने छह बजे के करीब फोन आया। अर्दली ने कहा कि गृह विभाग का फोन है। साहब ने फोन उठाया तो उधर से आवाज आयी-बधाई हो सर, आप डीजीपी बनाए गए हैं। कुछ और बाते हुई फिर फोन रखा गया। नये डीजीपी को सबसे पहले सामने से बधाई देने वालों में उनकी पत्नी डा.आशा मिश्रा ही थीं। डा. मिश्रा मुजफ्फरपुर के एलएस कालेज में दर्शनशास्त्र की व्याख्याता हैं। डा. मिश्रा कहती हैं अच्छा तो लगता है कि कैरियर में आखिरकार सर्वोच्च पद आपको मिला। मिठाइयां बंटी। शाम छह बजे के बाद तो मानो फोन की घंटी चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी। परिवार के कुछ लोग पहुंचे। वह बताती हैं- बस एक ही बेटा है मेरा। सौरभ बंगलोर में मैनेजमेंट कंसलटेंट है। बहू भी वहां आईसीआईसीआई बैंक में कार्यरत हैं। दो दिन पहले क्लास सस्पेंड रहने की वजह से डा. मिश्रा मुजफ्फरपुर से पटना पहुंची थीं। डीजीपी श्री झा देर शाम तक घर पर ही थे। नेहरू नगर स्थित अपने निजी आवास में वह सभी से मिल रहे थे। अचानक फिर फोन की घंटी बजी और उन्हें यह संदेश मिला कि अभी ही पदभार ग्रहण करना है। श्री झा ने घर के भीतर आवाज दी और नोटिफिकेशन की कापी मंगवायी। ड्राइवर को कहा-चलिए गाड़ी मोड़ लीजिए। कह रहे हैं कि अभी ही चार्ज लेना है। डा. मिश्रा ने उन्हें शुभकामना दी और वह अपने नए लक्ष्य की ओर निकल पड़े। डीजीपी की पत्नी डा. मिश्रा बताती हैं कि श्री झा शाकाहार अधिक पसंद करते हैं। सुबह पांच बजे ही उठ जाते हैं। भगवान के प्रति पूरी आस्था है पर बैठकर पूजा नहीं करते।

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