पटना। न कोई सरकारी मदद और न कोई ग्रांट की व्यवस्था, बस दिल से लग गए और बना लिया एक ऐसा अस्पताल जहां अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे से लेकर अत्याधुनिक ओटी है। इसे और सुंदर बनाने के लिए जवान अपने परिजनों की स्मृति में रिसेप्शन पर टीवी व एक्वागार्ड लगा रहे हैं।
यहां फुलवारीशरीफ में बीएमपी-5 परिसर में स्थापित यह अस्पताल अब नये लुक में है। झाड़ू देने वाले गणेश राम जो माह भर में रिटायर हो जाएंगे, कभी सपने में नहीं सोचा था कि उनके हाथों किसी अस्पताल का उद्घाटन होगा। आज उन्होंने बीएमपी कमांड हास्पिटल को अपने एक दर्जन बटालियन के जवानों की सेवा में समर्पित कर दिया। 13 पुरुष और चार महिला बेड वाले इस अस्पताल की सज्जा किसी नर्सिग होम से कम नहीं है। यह वही अस्पताल है जहां देर शाम लोग फटकते तक नहीं थे क्योंकि वहां कुत्ते बड़ी संख्या में रहते थे। अस्पताल का भवन था और पटना में रहने को ख्वाहिशमंद चार चिकित्सक भी पदस्थापित थे पर सिपाहियों के लिए 'सिक' यानी बीमार होने का सर्टिफिकेट देने के अलावा यहां कुछ खास नहीं होता था। 
बीएमपी के एडीजी अभयानंद ने बताया कि जब वह यहां पहुंचे तो तय किया कि जवानों के इलाज की कुछ व्यवस्था करें। इसी क्रम में उन्होंने बीएमपी जवानों के एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बात की। वे अस्पताल के नाम पर तैयार हो गए। तय हो गया कि एक-एक बटालियन से चंदे के नाम पर पचास-पचास हजार रुपए आएगा। इस तरह से बारह बटालियन के हिसाब से छह लाख का इंतजाम पंद्रह दिनों में हो गया। लायंस क्लब आफ फेमिना की महिलाएं इस बात को आगे आ गई कि वह अस्पताल के जर्जर हो चुके बेड को ठीक करा देंगी। बेड की व्यवस्था हो जाने के बाद लायंस क्लब आफ पटना फेवरिट को जब यह पता चला कि अस्पताल बनाया जा रहा है तो उन्होंने अपनी ओर से अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था कर दी। इसके बाद रुबन मेमोरियल अस्पताल ने अपनी ओर से बीएमपी कमांड अस्पताल को एक्स-रे मशीन गिफ्ट कर दी। इसके बाद स्टेट बैंक के स्थानीय मुख्यालय के अधिकारी आगे आ गए। बैंक ने अपने पैसे से अस्पताल के ओटी को नया शक्ल दे दिया। पूरी तरह से अत्याधुनिक उपकरणों से लैस वातानुकूलित ओटी बनकर तैयार हो गया। अपने चंदे के पैसे से हम लोगों ने अस्पताल के पैथालाजी के लिए उपकरण व फ्रिज खरीद लिए। अस्पताल शुरू हो गया। बाजार से आधे से कम दर पर सिपाहियों को पैथालाजिकल जांच की सुविधा है। हालांकि एंबुलेंस की कमी है। बीएमपी के पास चार बटालियनों में एंबुलेंस हैं। एक-एक दिन के लिए उसे यहां लाने की योजना पर काम हो रहा है। अस्पताल में अपनी दवाई की दुकान हो, इसकी व्यवस्था भी कर ली गई। सरकार से लाइसेंस लेकर अपनी आउटलेट भी शुरू कर दी गई है। अभयानंद ने बताया कि अस्पताल के संचालन के लिए जवानों का एक ट्रस्ट बना दिया जाएगा और वही ट्रस्ट इस अस्पताल को चलाएगा। मामूली शुल्क पर इलाज और जांच की व्यवस्था रहेगी। हर साल ट्रस्ट का चुनाव होगा। अस्पताल को लेकर जवानों में इतना उत्साह है कि वे अपने परिजनों की स्मृति में रिसेप्शन पर टीवी व एक्वेरियम लगा रहे हैं। यही नहीं एक ने अपनी दादी की स्मृति में एक्वागार्ड लगा दिया है। बाहर के डाक्टरों की पेड सर्विस भी शुरू किए जाने की योजना है।
Wednesday, June 18, 2008
सिपाहियों ने चंदे के बूते खड़ा कर दिया अस्पताल
Posted by Mukund Kumar at 5:57 AM
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